Gandhi, good or bad? The debate continues as Gandhi Jayanti celebrated across cities.

Today is 2nd October and a national Holiday in India to celebrate the Birth day of Mohan Das Karam Chand Gandhi who is called the Father of the Nation and titled Mahatma Gandhi due to his preaching and following the Non Violent way of life and struggle.

India gained Independence in 1947 but on the same day was also divided and Pakistan was born. The joy of independence was marred by the bloodshed on the border. Gandhi has been a matter of debate. A lot of people hold him responsible for the division of the Nation, while others, continue to worship him as a savior. This is well expressed in these two Hindi Poems that I read today on Facebook.
गांधी जी की तस्वीर!
लेने और देने की
आपाधापी में ,
कभी ग़ौर से नहीं देख पाया,
नोट पर छपे
गांधी जी की तस्वीर को ।
आज अचानक ध्यान आया
आज़ादी के बाद से
गिरते हुऐ रूपये पर
कैसे मुस्करा सकती है
कोई तस्वीर
इतने साल ।
सोचता हुँ
नोट पर छपी
तस्वीर को देखकर ,
आज़ादी के बाद की
या आज़ादी से पहले की
कब की होगी
ये मुस्कुराती तस्वीर
गांधी जी की ।
-हीरा सिंह अधिकारी

मेरी गांधीजी से शिकायत
तुम चाहते तो लालकिले पर भगवा फहरा सकते थे,
तुम चाहते तो तिब्बत पर भी झंडा लहरा सकते थे,
तुम चाहते तो जिन्ना को चरणों में झुकवा सकते थे,
तुम चाहते तो भारत का बंटवारा रुकवा सकते थे।
तुम चाहते तो अंगेजो का मस्तक झुकवा सकते थे,
तुम चाहते तो भगतसिंह की फाँसी रुकवा सकते थे।
इंतजार ना होता इतना तभी कमल खिलना तय था,
सैंतालिस में ही भारत माँ को पटेल मिलना तय था।
लेकिन तुम तो अहंकार के घोर नशे में झूल गए,
गांधीनीति याद रही भारत माता को भूल गए।
सावरकर से वीरो पर भी अपना नियम जाता डाला।
गुरु गोविन्द सिंह और प्रताप को भटका हुआ बता डाला,
भारत के बेटो पर अपने नियम थोप कर चले गए,
बोस पटेलों की पीठो में छुरा घोप कर चले गए।
तुमने पाक बनाया था वो अब तक कफ़न तौलता है,
बापू तुमको बापू तक कहने में खून खौलता है।
साबरमती के वासी सोमनाथ में गजनी आया था,
जितना पानी नहीं बहा उतना तो खून बहाया था।
सारी धरती लाल पड़ी थी इतना हुआ अँधेरा था,
चीख चीख कर बोलूंगा मैं गजनी एक लुटेरा था।
सबक यही से ले लेते तो घोर घटाए ना छाती,
भगतसिंह फाँसी पर लटके ऐसी नौबत ना आती।
अंग्रेजो से लोहा लेकर लड़ना हमें सीखा देते,
कसम राम की बिस्मिल उनकी ईंट से ईंट बजा देते।
अगर भेड़िया झपटे तो तलवार उठानी पड़ती है,
उसका गला काटकर अपनी जान बचानी पड़ती है।
छोड़ अहिंसा कभी कभी हिंसा को लाना पड़ता है,
त्याग के बंसी श्री कृष्ण को चक्र उठाना पड़ता है।

-सुरेश अलबेला

Social Media, as always, provides enough spice and matter for articls like these and here is some wit shared by people on #GandhiJayanti

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